Friday, February 28, 2014

राजनीति v/s कॉमन मैन

राजनीति v/s कॉमन मैन
(जी हां कॉमन मैन ... क्यू की आम आदमी तो अरविन्द केजरीवाल जी है )
          आज जिस प्रकार चुनाव पास आ रहा है राजनितिक गतिविधियों गति पकड़ रही है सभी राजनैतिक दल अपने अपने तरीके से अपने को चमकाने में लगे हुए है |

सभी राजनैतिक दलों से एक प्रश्न है कि आप क्यू नि समझते है कॉमनमैन का दर्द .. आप जानते है कि ट्रेन को रोकने से सडक मार्गों को रोकने से जनजीवन पर क्या फर्क पड़ता है ... कितनी तकलीफ होती है कॉमनमैन को ??
किसी का परीक्षा तो किसी का इंटरव्यू छुट जाता है सालों साल कि मेहनत एक झटके में मिट्टी में मिल जाती है सिर्फ किस बजह से सिर्फ राजनितिक दलों का अपना उल्लू सीधा करने कि बजह से ... मै हाल ही में भाजपा के द्वारा विहार में ट्रेन को रोके जाने पर ये कहने पर मजबूर हो रहा हू ... आखिर क्यू नि समझ आता कॉमनमैन का दर्द किसी को और भी तरीके है आंदोलन करने के ... आप अन्ना जी कि तरह शान्ति पूर्वक भी आंदोलन कर सकते है जिस में कोई मार्ग बाधित नहीं हुआ किसी भी कॉमनमैन को कोई परेशानी नहीं हुए .. और एक सफल आंदोलन के रूप में हम सभी के सामने था |
         २६ जनवरी २०१४ से पहले अरविन्द केजरीवाल जी का सड़क पर वैठाना क्या था जिसमे भी सिर्फ और सिर्फ कॉमनमैन को प्रोब्लम हुए केजरीवाल जी तो अपना चेहरा चमकाने में लगे रहे उनको क्या फर्क पड़ता है धारा १४४ लगी हो या नहीं देश कि सुरक्षा से क्या फर्क पड़ता है क्या फर्क पड़ता है | 
ये घटनाये कोई नई बाते नहीं है ... ये तो वर्षों से होता आ रहा है हर राजनितिक दल को अपना उल्लू सीधा करना है बस | आखिर कब तक चलेगा ये सब ? कभी कोई सोचता है कि कॉमनमैन के आलावा भी देश कि इकोनोमी पर भी असर होता है आये दिन अदालतों कि हड़ताल जिससे अदालतो कि कार्यवाही ही नहीं होती जिस के कारण केस पैंडिंग में ही रहते है फाईलो का ढेर लग जाता है
जयकान्त पाराशर
               आगरा
jkparashar@gmail.com
www.jkparashar.blogspot.com



                                                                         

Saturday, February 8, 2014

आज फिर से कलम उठानी पड़ी



today i am vey shocked when seen 4 girls on a taris doing smoking.
i front of my sweet home four girls avarage 19-20 year old on taris doing smoking ... when show thair nd also seen me but no effect on d girl .. i call my sis for seen this moment. all girls enjoy cigrate .

आज फिर से कलम उठानी पड़ी ... दोस्तों
दिल्ली समझ आती थी इतना अजीब नि लगता था इन् सब के लिए लेकिन आज आगरा में ........... मै समझता था की अभी आगरा में वो ट्रेंड नि है जो और शहरों में है
हम आज तक कहते थे की आगरा के लोगों में अभी शर्म बाकि है ... लेकिन नि अब शर्म बाकि नि रही .....


अक्टूबर २०१३ में एक लेख लिखा था ... भटकती युवा पीडी
http://jkparashar.blogspot.in/2014/01/blog-post.html?spref=fb )
आज में उस सब ठेकेदारो से कुछ पूछना चाहूँगा जो..... बात का बतंगड बना देते है अगर महिलाओं पर थोड़ी थी क्या बोल दे कोई

ये ही जमाना जमाना बदल गया है ...........
आज मुझे जबाब चाहिए ... जमाना बदलने का मतलब क्या है
छोटे छोटे कपडे पहनना ???
सिगरेट पीना ... ड्रिंक करना ??
बेशर्मी होना ??
बदल गया है जमाना .... हम तो कुछ भी न पहने ...हमको रोकने बाला कोन ... समानता का जोन अधिकार मिला है
समानता है तो हम कुछ भी करे ..... कोई कुछ कहेगा तो हमारे आका उसका ही बैंड बजा देंगे
अगर कोई बात आती है तो महिलाओं के लिए अलग लाइन
लेडिज फर्स्ट
संस्कार नहीं दिए गए क्या ... महिला खड़ी है खुद बैठे हो
please give me answer what did changes??

Tuesday, February 4, 2014

हकीकत राय

आज  वसंत पंचमी का दिन है ,बही दिन  जब 12 वर्ष के बालक से अंतिम बार पूछा गया " क्या तुम्हें इस्लाम कबूल है " बालक का उत्तर था "नहीं" माँ ने भी समझाया कि बेटा , तुम मेरे एकलौते पुत्र हो , इस्लाम कबूल कर लोगे तो तुम जीवत रहोगे , मरोगे तो नहीं , बालक का उत्त्तर था , अगर मैं मुस्लिम बन जाऊँ तो क्या मौत मुझे नहीं आएगी ? माँ सुन कर निरुत्तर हो गयी , तब जलाद ने अपने गंडासे से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया , वह बालक था वीर हकीकत
मुस्लिम सहपाठियों ने जब माँ दुर्गा को अपशब्द कहे तब हकीकत का उत्तर था मेरे लिया माँ दुर्गा और फातिमा में कोई अंतर नहीं है , लेकिन हक़ीक़त को अपने प्राणों से प्रिय धर्म था अपने प्राण दे दिए लेकिन अपना धर्म अपने प्राणो के साथ निभाया l


हकीकत राय नाम का बालक था धर्म परायण और वीर । मुगल का राज़ था । एक मदरसे मे पढता था वह वीर बालक , एक दिन साथ के कुछ मुस्लिम बच्चे उसे चिडाने के लिए हिंदू देवी देवताओ को गाली देने लगे उस सहनशील बालक ने कहा अगर यह सब मैं बीबी फातिमा के लिए कहू तो तुम्हे कैसा लगेगा। इतना सुन कर हल्ला मच गया की हकीकत ने गाली दी , बात बड़ी काजी तक पहुची मौलवी और काज़ी ने इसे इस्लाम का अपमान माना और मौत कि सजा सुनाई लेकिन लाहौर के हाक़िम सफ़ेद खान ने कहा कि अगर हक़ीक़त इस्लाम कबूल करता है तो मैं अपनी बेटी का निकाह हक़ीक़त से करा दूंगा और मौत कि सजा भी नहीं होगी ,
वसंत पंचमी के दिन ही उस वीर हकीक़त राय को कत्ल कर दिया गया । वह शहीद हो गया। उसने बलिदान कर दिया लेकिन धर्म से डिगा नही ।