Tuesday, January 8, 2013

कोई भी अपने बेटे का नाम रावण क्यूँ नहीं रखता ...?????????


आज दिल्ली की घटना .............. ने पूरे देश को हिला दिया है,
चाहे नेता हो या आम जनता या मीडिया हर कोई इस इस घटना पर अपने अपने विचार दे रहा है ...... कुछ लोग अपने स्टेटमेंट से विवादों में है तो कोई इस पर राजनीति कर रहा है | ..........मैं भी अपनी समझ से अपने विचार आप से (बांट)शेयर कर रहा हूँ |
घटना बहुत ही निन्दनीय थी आप सभी जानते है, न्याय मांग रहे विद्याथीओं  को वेरहमी से खदेड़ा गया, लाठीयां, पानी , आशु गैस से प्रहार किया गया ऐसा प्रतीत हो रहा था कि हिटलर के विरुद्ध किसी ने आवाज उठा दी और हिटलर ने उन्हें कुचलने के लिये आदेश दे दिया है .... जो भी हुआ अच्छा नहीं हुआ |
लेकिन सबसे बड़ा दुःख जब होता है इतना होने के बाद भी हम सबक नहीं ले रहे ........ उ०प्र० में ऐसी घटनाये आम होती जा रही है ...........लेकिन कोई भी एक्शन लेने वाला नहीं है पुलिस की कहें तो उ०प्र० पुलिस तो दलाल बन चुकी है |

रही बात आरएसएस के मोहन भागवत जी के बयान की तो आप ने क्या गलत कहा.....................

एक बात मैं सभी से पूछना चाहूँगा कि कोई भी अपने बेटे का नाम रावण क्यूँ नहीं रखता ...?????????

शायद इसलिए की रावण जैसा नहीं देखना चाहते अपने बेटे को ............. हमारे बुजुर्ग कहते है कि व्यक्ति पर उसके नाम का सबसे बड़ा असर पड़ता है .......  पहिनावे का असर उसकी मानसिकता को दर्शाता है |
बस मैं भागवत जी के भावार्थ को प्रकट करना चाहता हूँ कि भारत शव्द में हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता को पदर्शित करता है ............. हमारी पहिचान हमारी संस्कृति है | भारत से 1947 से अंग्रेज तो चले गए लेकिन एक पौधा लगा गए जिस का नाम इंडिया था जो कि आज अच्छा ख़ासा पेड़ बन चूका है जिसकी जड  मजबूत होती जा रही है ................ पाश्चात ने हमारे देश को जकड लिया है जैसे चन्दन के पेड़ को साँप जकड लेता है, हमारी सोच पूरी तरह से पाश्चात हो गयी है ...........इस मैं कोई शक नहीं है | मनोरंजन के नाम पर फिल्मों का जो स्तर गिरा है ............... आप इससे मना नहीं कर सकते, पाश्चात संस्कृति का असर अगर देश के हर कोने में दिखाई दे रहा है | हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे है भारत की महानता को भूलते जा रहे है| 

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