मै अपने व्यक्तिगत अनुभव
आप के समक्ष रखने का प्रयास कर रहा हू | आज का सबसे जादा युवा वर्ग नशे कि लत से ग्रस्त
है, मैंने अपने २२ वर्ष के जीवन में अनुभव किया है कक्षा १२ पास करने के बाद सही जीवन
प्रारम्भ होता है, १२ तक तो हम अपने माता-पिता के अनुशार कार्य करते है, हमें जो अच्छे
बुरे का ज्ञान मिलता है वो सिर्फ कक्षा १२ पास तक प्राप्त होता है, उसके बाद हम अपने
अनुशार कार्य करते है | मै अपने महाविद्यालय कि बात कहू तो ८० प्रतिशत छात्र सिगरेट का सेवन करते है और वो नशा उम्र के साथ अनेको
प्रकार के नशे में परिवर्तित हो जाता है, अभी
आगरा में तो वो ट्रेंड नहीं हुआ लेकिन मेट्रो शहरो में तो छात्राये भी पीछे नहीं है
| मैंने बी टेक पूरा किया है, मेरा इंजीनियरिंग का अनुभव है, हर कॉलेज के बहार खोका
(दुकान) होती है जिस पर चाय और सिगरेट मिलती है, और ब्रेक में वंहा छात्रों कि भीड़
जमा होती है, और यंहा से प्रारम्भ होती है नशे कि लत, और ये लत कन्हा तक पहुँचती है,
जिसका कोई पता नहीं |
मुझे आज तक समझ नहीं आया कि ये लत क्यू लगती है, मै
अपने मित्रों से पूछता रहता हू कि क्या मिलता है इसमें, पैसे को आप धुँआ में उड़ा देते
हो और एक बीमारी को न्योता दे देते हो आखिर क्यू ? तो उत्तर मिलता है लत लग गयी है,
मै पूछता हू मुझे क्यू नहीं लगी ? तो निउत्तर हो जाते
है |
मै मानता हू कि इस उम्र में कुछ अपने आप करने कि ललक होती है, और सही दिशा न मिलने
पर वो गलत राहों पर ले जाती है | आज क्राईम में सबसे जादा १५ से ३५ वर्ष के लोगो कि
भागीदारी होती है और वो नशे से ग्रस्त होते है, दिल्ली में जो हुआ उसमे भी आरोपिओं
ने माना था कि वो नशे में थे जिसके कारण वो वहके |
मुझे ये समझ नहीं आता कि ये सब ऐसे ही क्यू बिकते है, उ०प्र० के अंदर शराव कि दुकान
स्कूल, अस्पतालों, आवासीय कोलोनिओं में है, जब कि मानक के अनुसार उन दुकानों को दूर
होना चाहिए, परन्तु ... तो परन्तु है | सरकार को इनसे अच्छी खासी आमंदनी होती है तो
कोई एक्शन का सवाल ही नहीं होता है |
हम लोगों कि सबसे बड़ी
दिक्कत क्या है वो ये है कि हम पहले तो समस्या
पैदा करते है और फिर उसे रोकने का प्रयास करते है | अब आप ही देख लो पहले
हर नुक्कड़ पर मादक पदार्थ उपलब्ध कराते है फिर धूम्रपान निषेध दिवस मानते है और इन् कार्यक्रमों पर करोडोँ रुपये खर्च
करते है,
एक नजर
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
दुनियाभर में तम्बाकू सेवन का बढ़ता चलन
स्वास्थ्य के लिए बेहद नुक़सानदेह साबित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ)
ने भी इस पर चिंता ज़ाहिर की है। तम्बाकू से संबंधित बीमारियों की वजह से हर साल क़रीब
5 मिलियन लोगों
की मौत हो रही है। जिनमें लगभग 1.5 मिलियन महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनियाभर में 80 फ़ीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं, लेकिन कुछ देशों की महिलाओं में तम्बाकू
सेवन की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। दुनियाभर के धूम्रपान करने वालों का क़रीब
10 फ़ीसदी भारत
में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में क़रीब
25 करोड़ लोग गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि के ज़रिये तम्बाकू का सेवन करते
हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ दुनिया
के 125 देशों में तम्बाकू
का उत्पादन होता है। दुनियाभर में हर साल 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब
से ज़्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। भारत में 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है। भारत में
72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत
तम्बाकू निर्यात के मामले में ब्राज़ील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद छठे स्थान पर है। आंकड़ों
के मुताबिक़ तम्बाकू से 2022 करोड़ रुपए
की विदेशी मुद्रा की आय हुई थी। विकासशील देशों में हर साल 8 हज़ार बच्चों की मौत अभिभावकों द्वारा किए
जाने वाले धूम्रपान के कारण होती है। दुनिया के किसी अन्य देश के मुक़ाबले में भारत
में तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़
रही है। तम्बाकू पर आयोजित विश्व सम्मेलन और अन्य अनुमानों के मुताबिक़ भारत में तम्बाकू
सेवन करने वालों की तादाद क़रीब साढ़े 29 करोड़ तक हो सकती है
तम्बाकू सेवन में महिलाओं की भागीदारी
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी
एक बयान में कहा गया है कि शहरी क्षेत्र में केवल 0.5 फ़ीसदी महिलाएं धूम्रपान करती हैं। जबकि
ग्रामीण क्षेत्र में यह संख्या दो फ़ीसदी है। आंकड़ों की मानें तो पूरे भारत में 10 फ़ीसदी महिलाएं विभिन्न रूपों में तंबाकू
का सेवन कर रही हैं। शहरी क्षेत्रों की 6 फ़ीसदी महिलाएं और ग्रामीण इलाकों की 12 फ़ीसदी महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं।
अगर पुरुषों की बात की जाए तो भारत में हर तीसरा पुरुष तम्बाकू का सेवन करता
है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक़ कई देशों में तम्बाकू सेवन के मामले में लड़कियों
की तादाद में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है। हालांकि तम्बाकू सेवन के मामले में महिलाओं की
भागीदारी सिर्फ़ 20 फ़ीसदी ही है।
महिलाओं और लड़कियों में तम्बाकू के प्रति बढ़ रहे रुझान से गंभीर समस्या पैदा हो सकती
है। डब्लूएचओ में गैर-संचारी रोग की सहायक महानिदेशक डॉक्टर आला अलवन का कहना है कि
तम्बाकू विज्ञापन महिलाओं और लड़कियों को ही ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। इन नए
विज्ञापनों में ख़ूबसूरती और तंबाकू को मिला कर दिखाया जाता है, ताकि महिलाओं को गुमराह कर उन्हें उत्पाद
इस्तेमाल करने के लिए उकसाया जा सके। बुल्गारिया, चिली, कोलंबिया, चेक गणराज्य, मेक्सिको और न्यूजीलैंड सहित दुनिया के क़रीब
151 देशों में किए
गए सर्वे के मुताबिक़ लड़कियों में तंबाकू सेवन की प्रवृत्ति लड़कों के मुक़ाबले ज़्यादा
बढ़ रही है
मुंह का कैंसर की होने की आशंका
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक़ तम्बाकू या सिगरेट का सेवन करने वालों
को मुंह का कैंसर की होने की आशंका 50 गुना ज़्यादा होती है। तम्बाकू में 25 ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते
हैं। तम्बाकू के एक कैन में 60 सिगरेट के बराबर निकोटिन होता है। एक अध्ययन के अनुसार 91 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू से ही होते
हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल और डॉ. बी सी राय
का कहना है कि एक दिन में 20 सिगरेट पीने
से महिलाओं में हार्ट अटैक का ख़तरा 6 गुना बढ़ जाता है। एक दिन में 20 सिगरेट पीने से पुरुषों में ह्रदयाघात का
ख़तरा 3 गुना बढ़ जाता
है। पहली बार ह्रदयाघात के लिए धूम्रपान 36 फ़ीसदी मरीज़ों में ज़िम्मेदार होता है।
ऐसे हृदय रोगी जो लगातार धूम्रपान करते रहते हैं उनमें दूसरे ह्रदयाघात का ख़तरा ज़्यादा
रहता है साथ ही अकस्मात मौत का ख़तरा भी बढ़ जाता है। बाई पास सर्जरी के बाद लगातार
धूम्रपान करते रहने से मृत्यु, हृदय संबंधी बीमारी से मौत या फिर से बाईपास का
ख़तरा ज़्यादा होता है। एंजियोप्लास्टी के बाद लगातार धूम्रपान करने से मौत और ह्रदयाघात
का ख़तरा बढ़ जाता है। जिन मरीज़ों में हार्ट फंक्शनिंग 35 फ़ीसदी से कम हो, उनमें धूम्रपान से मौत का ख़तरा ज़्यादा
होता है। जो लोग लगातार धूम्रपान करते रहते हैं, उनमें हो सकता है कि रक्त दाब (ब्लड प्रेशर)
की दवाएं असर न करें।
प्रतिवर्ष 50 लाख लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के आधार पर इस समय समूचे विश्व में प्रतिवर्ष
50 लाख से अधिक
व्यक्ति धूम्रपान के सेवन के कारण अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यदि
इस समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में कोई प्रभावी क़दम नहीं उठाया गया तो वर्ष
2030 में धूम्रपान
के सेवन से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष 80 लाख से अधिक हो जायेगी। धूम्रपान, इसका सेवन करने वालों में से आधे व्यक्तियों
की मृत्यु का कारण बन रहा है और औसतन इससे उनकी 15 वर्ष आयु कम हो रही है। हर प्रकार का धूम्रपान-
90 प्रतिशत से
अधिक फेफड़े के कैंसर, ब्रैन हैम्ब्रेज
और पक्षाघात का महत्त्वपूर्ण कारण है। आज विश्व के मशीनी जीवन में कैंसर, मृत्यु का दूसरा कारण है और सिगरेट इस बीमारी
में ग्रस्त होने का एक महत्त्वपूर्ण कारण है। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि फेफड़े
के कैंसर से ग्रस्त होने और सिगरेट का सेवन करने वाले पुरूषों में मृत्यु की संभावना
सिगरेट का सेवन न करने वाले पुरुषों से 23 गुना अधिक है जबकि इस कैंसर से ग्रस्त होने
की संभावना सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं में सिगरेट का प्रयोग न करने वाली महिलाओं
से 13 गुना अधिक है।
सिगरेट- मुंह, मेरुदंड, कंठ और मूत्राशय के कैंसर में सीधे रूप से
प्रभावी हो सकता है। सिगरेट में मौजूद कैंसर जनक पदार्थ शरीर की कोशिकाओं पर ऐसा प्रभाव
डालते हैं जिससे उसका उचित विकास नहीं हो पाता और शरीर की कोशिकाओं के विकास में ध्यानयोग्य
विघ्न उत्पन्न होता है। इस प्रकार सिगरेट शरीर की कोशिकाओं के नष्ट होने और उनके कैंसर
युक्त होने का कारण बनता है। शोध इस बात के सूचक हैं कि जो व्यक्ति सिगरेट का सेवन
करते हैं उनमें मूत्राशय के कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना उन लोगों से चार गुना
अधिक होती है जिन्होंने अपने जीवन में एक बार भी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया है। लम्बे
समय तक सिगरेट सेवन के दूसरे दुष्परिणाम- मुंह, गर्भाशय, गुर्दे और पाचक ग्रंथि के कैंसर हैं। विभिन्न शोधों से जो परिणाम सामने आये हैं
वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि धूम्रपान, रक्त संचार की व्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव डालता है। धूम्रपान का सेवन और
न चाहते हुए भी उसके धूएं का सामना, हृदय औरमस्तिष्क की बीमारियों का महत्त्वपूर्ण कारण है। इन अध्ययनों में पेश किये गये
आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि कम से कम सिगरेट का प्रयोग भी जैसे एक दिन में पांच सिगरेट
या कभी कभी सिगरेट का सेवन अथवा धूम्रपान के धूएं से सीधे रूप से सामना न होना भी हृदय
की बीमारियों से ग्रस्त होने के लिए पर्याप्त है। धूम्रपान के धूएं में मौजूद पदार्थ
जैसे आक्सीडेशन करने वाले, निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण हैं। धूम्रपान का सेवन इस बात का कारण बनता
है कि शरीर पर इन्सुलिन का प्रभाव नहीं होता है और इस चीज़ से ग्रंथियों एवं गुर्दे को क्षति
पहुंच सकती है।
सिगरेट की लत
तीसरी दुनिया के देशों में सिगरेट पीने वालों की आयु कम होती है और इन
देशों की युवा जनसंख्या के दृष्टिगत उनमें मादक पदार्थों की लत पड़ जाने और दूसरी सामाजिक
एवं सांस्कृतिक बुराइयों में वृद्धि की आशंका होती है। इस संबंध में होने वाले अध्ययन
के अनुसार यद्यपि सिगरेट का सेवन करने वाला हर व्यक्ति नशेड़ी नहीं बन जाता है परंतु
सिगरेट का सेवन करने वाले अधिकांश लोग बड़ी जल्दी नशेड़ी बन जाते हैं। वास्तव में सिगरेट
नशेड़ी बनने के प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता है। स्पष्ट है कि समाज में सिगरेट का
सस्ता होना, उसकी तस्करी
और उस तक सरल पहुंच, कम आय वाले
वर्ग एवं युवाओं में सिगरेट पीने के रुझान में वृद्धि का महत्त्वपूर्ण कारण है।
जयकान्त
पाराशर नशे में डूबा ......... युवा