Saturday, January 11, 2014

क्यूँ आज का युवा क्राईम की दुनिया की तरफ



---- आखिर क्यूँ हो रहे है आज के युवा नशा के शिकार ?
---- क्यूँ आज का युवा क्राईम की दुनिया की तरफ जा रहा है
आज को देखते हुए एक छोटी सी कहानी याद आती है | एक सुन्दर सा राज्य था राजा का एक लम्बे समय से बीमार होने के कारण देहांत हो जाता है ....... इस स्थिति में राजा के २६ वर्षीय बेटे को राजा बना दिया गया | कुछ समय बीत जाने के बाद ........... एक दिन राजा के दिमाग में एक विचार आता है कि हमारे राज्य में कितने लोग बुजुर्ग है जो कोई भी काम नहीं करते, २ दिन में सूची बनाकर देने का आदेश दिया,राजा को २ दिन में सूची उपलब्ध करा दी गयी | राजा ने सूची को देखकर कहा एसे लोगों का क्या फायदा जो कोई काम नहीं करते और बैठ कर खाते रहते है इन लोगो का राज्य में रहना बेकार है अगर इन लोगों को फांसी दे दी जाये तो बहुत भोजन की बचत की जा सकती है ... ये कहते हुए राजा आदेश देता है की सभी ५० वर्ष से बड़े लोगों को राज्य से निष्कासित कर दिया जाये और जो लोग यंहा से नहीं जाये उनको फांसी दे दी जाये | राजा के आदेश का पालन होने लगा और राज्य से कोई भी ५० वर्ष से अधिक का व्यक्ति नहीं रहा | राज्य का एक १८ वर्षीय व्यक्ति अपने दादा के साथ पास में ही राज्य की सीमा से अलग कुटिया बनाकर रहने लगा | राजा के तानाशाही मौहोल में जनता ने अपने आप को डाल लिया. राज्य में कई वर्ष लगातार सूखा होने लगा वारिश न होने के कारण अनाज की पैदावार रुक गयी और जो भंडार था वो भी धीमे धीमे समाप्त होने लगा और एक दिन ऐसा आया की राज्य का सारा अनाज समाप्त हो गया राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या करें लोग राज्य छोड़ने पर मजबूर हो रहे थे| तभी अचानक तेज वारिश होने लगी खेतों में पानी था लेकिन लोगों के पास बीज नहीं था | किसी के भी पास खाने को कुछ नहीं था और लोग राज्य से पलायन करने लगे| उस १८ वर्षीय युवक ने ये घटना अपने दादाजी को बताई| तब दादाजी ने कहा बिना किसी सवाल के सड़क के किनारे हल से जुताई करो और लोगों से भी बोलो की वो भी जुताई करे. उस युवक ने ऐसा ही किया और लोगों से भी कहा लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी और बोले की बिना बीज के जुताई करने से क्या फायदा और उससे मुर्ख कहते हुये चले गए उस युवक ने जितनी जुताई कर सका उतनी की | कुछ समय बाद सडक के किनारे गेंहूँ के पौधे निकलने लगे ये देखकर राजा ने पूरी धटना की जानकारी की और उस युवक को बुलाया और कहा ये कैसे संभव है तो युवक ने सिर झुकाकर कहा ये सब करने को मेरे दादाजी ने कहा बस मेने तो उनकी आज्ञा का पालन किया है राजा ने दादाजी को बुलाने का आदेश दिया जब दादाजी से पुछा गया तो दादाजी ने कहा जब हम अपने आनाज को खेतो से लेजाते है तो कुछ आनाज गिर जाता है जो की हवा और पानी से से सडक किनारे मिट्टी में मिल जाता है बस उस आनाज जो हल की जरुरत थी तो मेने अपने बेटे और सभी से कहा की हल चलाओ लेकिन सिर्फ मेरे बेटे ने ही हल चलाया जितना वो जुताई कर सका उतने में आज गेंहूँ के पौधे है | इतना सुनकर राजा को अपनी गलती का ऐसाहस हुआ और कहा बिना बुजुर्ग के जीवन असंभव है जब राज्य पर बिपता आई तो बड़े बुडे के जीवन का अनुभव ही हमें नयी रहा देता सकता है और सार्वजानिकरूप से माफ़ी मांगते हुए सभी को वापस ससम्मान राज्य में आने की प्रार्थना करता है |
“इस कहानी से मेरा बस इतना सा आशय है आज जो समस्या हमारे,समाज, देश के सामने है उसमे दोष हमारा ही है ............. मेरे अध्यन के अनुसार जो भी क्राईम हो रहे है उन अपराधीओं की उम्र १५ से ४५ वर्ष की है चाहे वो चोरी डकैती लूटपाट हत्या बलात्कार आदि | मतलब ये है क्राईम होने का मुख्य कारण युवाओं का भटकना ही तो है आजका युवा सबसे जादा नसे से ग्रस्त है जिसका क्या दुष्प्रभाव होता है उसकी व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है| आज हम जो जमाना बदल रहा है की रट लगाये हुये है इसका संतुष्ठ उत्तर नहीं मिला अगर नशा करना, छोटी छोटी बातों पर परिवारीजनों के ही दुश्मन बन जाना , बदन पर आयी कपड़ों की कमी आदि जमाना बदलने से है तो वो पल दूर नहीं जब हम सभी जानवर हो जायेगे , इंसानियत नाम का कुछ हो | इस सब का कारण जो मुझे लगता है वो सिर्फ और सिर्फ जो हमें दिए जा रहे संस्कारों की कमी है | और इन सब के लिए जरुरत है बड़े बुजुर्गों का साथ | "
जयकान्त पाराशर
खेरागढ़ आगरा