भारत vs इंडिया
- आप बेटे का नाम रावण क्यूँ नहीं रखते ?
- हमारा देश किसलिये प्रसिद्ध है ?
- पश्चात संस्कृति का भारत पर क्या असर ?
- क्यूँ भूल रहे है अपनी संस्कृति ?
एक बात मैं सभी से पूछना चाहूँगा कि कोई भी अपने बेटे का नाम रावण, कंस या किसी राक्षस के नाम पर क्यूँ नहीं रखता???????
शायद इसलिए की रावण या किसी राक्षस जैसा नहीं देखना चाहते अपने बेटे या परिवार के किसी भी सदस्य को ………………………………..हमारे बुजुर्ग और पुराण कहते है कि व्यक्ति पर उसके नाम का सबसे बड़ा असर पड़ता है ......................... पहिनावे का असर उसकी मानसिकता को दर्शाता है | इसलिए हम सुलझे व् सार्थक अर्थ बाले नाम ही रखते है |
एक व्यक्ति जिसको कपडे पहनने के तरीके से हम आकलन कर लेते है व्यक्ति और उसकी सोच को | अगर हम किसी महिला / लड़की को सुलझे हुए कपडे पहनने कि सलाह देते है तो उँगलियाँ उठ जाती है कि पुरुष कैसे निर्णय ले सकते है कि उन्हें क्या पहनना है और क्या नहीं .............................
आज हम पश्चात संस्कृति को नए ज़माने के रूप में अपना रहे है ........................ अगर हम संस्कृति कि बात करें तो पुराने ज़माने के नाम पर उसे आज की पीडी ठुकरा देती है आप मुझे बताएं हमारा देश किसलिये प्रसिद्ध है .................. अपनी सभ्यता ,संस्कृति और अपने आदर्श के लिये विश्व विख्यात हुआ है ............ तो हम जैसे कह सकते है कि हमारी संस्कृति तुच्छ है, जिसे आज हम अपनाने से मना कर रहे है ?
पाश्चात की चकाचौंध ने हमको अंधा बना दिया है ............................. इस की चमक के सामने हमें कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा, आज जो अपराध बड रहे है, मेरे अनुसार कंही न कंही पश्चात संस्कृति ही की देन है |
भारत शव्द में हमारी संस्कृति, हमारी सभ्यता को पदर्शित करता है ............. हमारी पहिचान हमारी संस्कृति है | भारत से 1947 से अंग्रेज तो चले गए लेकिन एक पौधा लगा गए जिस का नाम इंडिया था जो कि आज अच्छा ख़ासा पेड़ बन चूका है जिसकी जड मजबूत होती जा रही है .हम कब भारतीय दे इंडियन हो गए पता ही नहीं चला जो देश विश्व में भारत के नाम से व्याख्यात था आप वो इंडिया बन चूका है ............... पाश्चात ने हमारे देश को जकड लिया है जैसे चन्दन के पेड़ को साँप जकड लेता है, हमारी सोच पूरी तरह से पाश्चात हो गयी है ...........इस मैं कोई शक नहीं है, उदाहरण के रूप में ............ आज हमें दिवाली या ईद का जितना इंतजार नहीं होता जितना वेलेंटाइन डे का होता है | वेशर्मी का जीता जाता उदाहण देखना हो तो आगरा के ताजमहल, अकबर का मकबरा (सिकंदरा), मरियम आदि को देखाने (visit) जा सकते है| मनोरंजन के नाम पर फिल्मों का जो स्तर गिरा है ............... आप उससे मना नहीं कर सकते, आज हीरोईनों में अंग पदर्शन की होड सी लगी है इससे भी आप मना नहीं कर सकते............................ पाश्चात संस्कृति का असर देश के हर कोने में दिखाई दे रहा है |
हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे है भारत की महानता को भूलते जा रहे है, क्यूंकि कोई सही मार्ग दर्शक नहीं है जो हम्हें हमारी संस्कृति की सही पहिचान करा सके इसकी महत्वता को समझा सके |
------- जयकान्त पाराशर