Saturday, August 20, 2011

अन्ना vs सरकार

आज पूरा देश अन्ना को वर्तमान का गांधी मान रहा है , मैं तो कहता हूँ अन्ना आज के गांधी ही हैं|
आजादी के बाद सबसे बड़ी लड़ाई जो लड़ रहे हैं और वो भी गांधी जी के पग चिन्हों पर |  अन्ना ने पहले अनशन किया तो लोकपाल बिल सदन मे लाने को  तैयार हुए सरकार .......परन्तु ........सरकार ने लोकपाल कि जगह जोकपाल बिल तैयार कर दिया जिस में बिल्कुल भी दम नही था........अन्ना ने १६ अगस्त को अनशन करने की  अपील की और दिल्ली पुलिस से जंतरमंतर पर अनशन करने कि अनुमति मांगी जो कि मिली नहीं ....बहुत कहने पर ............पुलिस ने जे पी  पार्क  मे शर्तों कब साथ अनुमति भी दे दी ...जब अन्ना १६ अगस्त को अनशन के लिए जाने को तैयार हो ही रहे थे कि पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ............गृहमंत्री जी से पूछने पर कहते हैं मुझे नहीं पता पुलिस का काम हैं ..............इस तरह के वयान देना का क्या मतलब हैं  ............

मैं मुख्य बिंदु पर आता हूँ ............अन्ना और जनता चाहती है कि प्रधानमंत्री जी और जजों को भी लोक पाल के दायरे ने होना चाहिए ..........परन्तु सरकार नहीं चाहती..............सरकार का कहना हैं कि लोकपाल तो प्रधानमंत्री से भी बड़ा हो जायेगा .................मुझे एक बात बताएये जब किसी न्यायधीश कि जाँच होती हैं तो DSP label  का अधिकारी करता हैं क्या वो उस के सर पर चढ़ जाता है .....अपनी जाँच पूरी कर के कोर्ट मे  प्रस्तुत कर  देता है|.............यंहां भी तो लोकपाल  सिर्फ जाँच ही तो करेगा ..फैसला तो कोर्ट को ही करना है......फिर कठिनाई क्या हैं...........

आज हमारा देश भ्रष्टाचार मे बहुत आगे निकल चूका है .............इसे रोकने को कोई भी हल नहीं दिख रहा है..........अन्ना ने लोकपाल को सदन में लाने कि कोशिश कर रहे हैं आज हमारा देश में जो मुख्य समस्या है मंहगाई......बेरोगारी.........इन सब कि जड भष्ट्राचार ही है ...........जब तक हम भष्टाचार पर लगाम नहीं लगाएंगे जब तक कुछ भी हाशिल होना मुश्किल है...................

अगर अन्ना का लोकपाल बिल पास होता है तो मैं दावे के साथ कह सकता हूँ भ्रष्टाचार पर लगाम लग जायेगी और हमारा देश सबसे विकसित शक्तिशाली...........होगा

मैं  अन्ना को support कर रहा हूँ ...........क्या आप भी support करोगे ?????
वन्देमातरम वन्देमातरम  वन्देमातरम वन्देमातरम
वन्देमातरम वन्देमातरम वन्देमातरम 
भारत मात की  जय 

Sunday, August 14, 2011

आजादी ??????


आज १५ अगस्त २०११ को ६४  वर्ष पूरे हो गये है | इन ६४  साल में हम कितने आजाद हुए है. प्रकाश डालते है|
इस भारत देश के लिये ९ लाख शहीदों ने अपना बलिदान दे दिया इस भारत माँ को जंजीरों से आजाद करने के लिये|
आज हम मँहगाई , भ्रष्टाचार, और अत्याचार ये जूज रहे है, आज हम कन्ही भी सुरक्षित नहीं है. सड़क पर चलना भी आज सुरक्षित नहीं है ....दो पहिया हो या चार पहिया वाहन दिन हो या रात कोइ भी सुरक्षित नहीं है. ..............सोते लोंगों पर पुलिस लाठी बरसाती है बच्चों महिलाओं को भी नहीं छोड़ा जाता....... और हम बात करते हैं आजादी की|
इसी को आजादी कहते है. शहीदों ने ऐसी आजादी दिलाने के लिये बलिदान दिया था???
आज सरकारें ऐसी है जो देश को खोकला कर रही है ...........भ्रष्ठ , गुंडे और दुराचारी राज्य कर रहे है |
पहले विदेशी लोगो ने राज्य को लुटा था अब अपने ही देश के लोग लूट रहे हैं| आजादी मिली अंग्रेजों से पर क्या आप आजाद है ........???? नहीं हम आज भी आजाद नहीं है ............ हम कहते हैं कि हम ने विकास किया हैं ...........क्या विकास किया है???........... हजारों किसान आज भी आत्महत्या कर रहे है कर्ज के कारण, आज भी बच्चे सिग्नलों पर भीख मांगते हैं...... और हम कह रहे हैं कि विकास किया हैं ...........हाँ विकास हुआ है तो उधोगपतिओं को .............गुंडों का ............भ्रष्ट नेताओं का ......आम जनता का नहीं ...........आज हमको लाल बहादुर जैसा प्रधानमंत्री चाहिए जो एक रेल दुर्घटना होने पर आपना इस्थीपा दे दिया...ऐसा नहीं कि देश लूटता रहा और प्रधानमंत्री जी देखते रहे और ऐसा भी नहीं चाहिए कि ये बोल रहा था कि हम आतंक बाद नही रोक सकते|
उ०प्र० आज सबसे असुरक्षित प्रदेश है दिनदहाड़े चोरी लूट हत्यायें हो है और पुलिस तमाशा देखती रहती है क्यूँ कि गूंडो के हाथ में ही तो सत्ता है.|
हम आजादी का ६५ वां जश्न मना रहे है ...........

क्या क्या सपने देखे थे  शहीदों ने, और आज हम उनके सपनों को चूर चूर कर रहे हैं|