Thursday, October 30, 2014

शिक्षा लेने का उद्देश्य सिर्फ नौकरी पाने के लिए है ?



शिक्षा का महत्व कोई भी युग रहा हो शिक्षा की जरूरत हमेशा रही है | समय के साथ शिक्षा का पैटर्न बदला परन्तु उद्देश हमेशा एक रहा कि मनुष्य और राक्षस में अंतर कराना, मनुष्य को मनुष्य बनाये रखना |


                                         शिक्षा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है , हमें जीने की नयी दिशा व् जीने का सही तरीका सिखाती है | स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है राष्ट्र के निर्माण के लिए भारतीयों को शिक्षित होने की परमावश्यकता है | और शिक्षा वो है जिस शिक्षा से हम जीवन का निर्माण कर सके, मनुष्य बन सके, चरित्र का गठन कर सके व् विचारों का सामजस्य कर सके वही शिक्षा कहलाने योग्य है | गांधीजी का मूलमंत्र था - 'शोषण-विहीन समाज की स्थापना करना'। उसके लिए सभी को शिक्षित होना चाहिए। क्योंकि शिक्षा के अभाव में एक स्वस्थ समाज का निर्माण असंभव है।
               


  शिक्षित किसे माने !
  डिग्री धारक शिक्षित है ?
  भारत की कितनी % जनसँख्या शिक्षित और कितनी डिग्रीधारक   शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में ?

आज शिक्षा का पैटर्न है कि पाठ्यक्रम को पूरा कराना | आप किसी भी विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय का उद्देश्य देखे तो सिलेबस पूरा कराना रह गया है, 80-90% अंक हासिल करना बच्चे का उद्देश्य बना दिया गया है, माता पिता व् अभिभावक बंधू भी 80-90% अंक आने पर प्रसन्न हो जाते है और वो भी नहीं चाहते है की उनका वच्चा सिलेबस से बहार की पुस्तकों  का अध्यन करे|
क्या डिग्री मिलने पर हम शिक्षित हो जाते है ! क्या हमारे ग्रेजुएट – पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्ट्रेट (Phd.) होने पर हम शिक्षित है ! शायद आप भी ये ही कहेंगे की हां डिग्री होगी तो पढ़ा लिखा ही होगा | ठीक है मित्रो एक जीवित उदाहरण आप को देता है IIT से इंजीनियरिंग करने के बाद IPS में 83 रेंक पाने वाले व्यक्ति श्री संजीव त्यागी जी को आप क्या बोलोगे ......... शिक्षित क्यू कि आईपीएस में सलेक्ट होना भी अपने आप में महत्व रखता है, त्यागी जी इंटेलिजेंट है इसमे भी कोई संदेह नहीं किया जा सकता है लेकिन त्यागी जी और तत्कालीन DGP मेरठ को जून २०१४ में सस्पेंड कर दिया जाता है क्यू कि अपनी ही ऑफिस की महिला कर्मी के साथ छेड़-छाड़ करने पर, अब आप मुझे बताईये क्या संजीव त्यागी जी शिक्षित लोगों की पंक्ति में आते है ? क्या इतने बड़े पद पर होने के बाद इस  तरीके की घटनाये हमारी शिक्षा पद्दति पर ऊँगली नहीं उठती ? क्या संजीव त्यागी के व्यक्तित्व का विकास हुआ इस शिक्षा पद्दति से ! ये मात्र एक उदहारण है, ऐसे तमाम उदाहरण हमें हर रोज देखने को मिल रहे है |
आज शिक्षा सिर्फ और सिर्फ नौकरी पाने के लिए और पैसे कमाने के लिए हो गयी है, आज की शिक्षा के पैटर्न से सिर्फ नौकरी मिलना संभव है व्यक्ति के व्यक्तित्व को विकसित नहीं किया जा सकता है | देश में डिग्रीधारकों की संख्या तो निरंतर बढ़ रही है लेकिन व्यक्तिव का विकास नहीं हो रहा है |
हम समस्याओं के समाधान के लिए कानून का प्रयोग कर रहे है लेकिन कानून किसी भी क्राइम को पूर्ण रूप से समाप्त नहीं कर सकता, कानून सिर्फ और सिर्फ व्यक्ति में भय डर पैदा कर सकता है, और भय जब तक ही होता है जब तक वो व्यक्ति पर हाभी नहीं हो | और व्यक्ति पर भय हाभी नहीं होगा जब हमारा व्यक्तिव मनुष्य के गुणों के अनुरूप होगा | व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करने में धार्मिक पुस्तकें बहुत बड़ी सहायक होती है जो हमें संस्कार, संस्कृति और सभ्यता सिखाती है, हमें सही और गलत का बोध कराती है, मन की अंतरात्मा को सुनने में मदत करती है | लेकिन आज की युवा पीढ़ी न्यू फैसन के नाम पर संस्कारो और संस्कृति को नकार रही है, जो संस्कारों और संस्कृति को जबरदस्ती थोपने का आरोप लगा कर, अनुशासन में रहने को, जुर्म, पावंदी और अलोकतांत्रिक का नाम देकर विरोध कर रही है, मेरे अनुसार जिसका नतीजा बढ़ती रेप की घटनाएँ, हवस की बढती प्रवर्ती ,हर मोड़ पर होते शर्मशार रिश्तों की घटनाये, नशाखोरी अनुशासनहीनता और अपराधिक घटनाये आदि है, मनुष्य, मनुष्य न रह कर राक्षस प्रवर्ती धारण करता जा रहा है | संस्कार और संस्क्रति ही हमें मनुष्य बनाते है| लेकिन भारत में शिक्षा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ डिग्रियां ही मिल रही जो की भारत राष्ट्र के लिए चिंतनीय विषय है |

जयकान्त पाराशर
www.jkparashar.blogspot.com






               

Thursday, August 14, 2014

१५ अगस्त को मोदी जी का भाषण !

                                    १५ अगस्त २०१४ को लाल किले से  मोदी जी के भाषण पर सभी को वेसरबी से इंतजार है मोदी क्या संबोधित करने बाले है देश को कोन सी नयी उमीद देने बाले है  इसका इंतजार तो सभी को है | लोकसभा २०१४ के चुनाव से पहले ही लाल किले से अपने भाषण कि तैयारी में जुटे मोदी है मोदी इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है | दिल्ली में युवाओं में नयी उम्मीद जगाने वाले मोदी समय के साथ व्यवस्था को व्यवस्थित करेने में जुटे है उसी के साथ अपने पडोसी देशो से सम्बन्ध स्थापित करने में भी कार्य कर रहे है |

             मोदी जी ने विश्व में भातर के वर्चश्व के लिए कार्य करना तो प्रारंभ कर दिया ... पडोसियो में भी उम्मीद के साथ डर पैदा किया है जिसका उदाहरण पाकिस्तान ने जवान को सकुशल बपिसी है | अमेरिका जैसा देश वेशारबी से भारत के प्रधानमंत्री से मिलने के लिए व्याकुल है | कोई भी संका नहीं है कि मोदी जी ने भारत कि नईं छाप पडौसी देशो में छोड़ी है मेरी आदरणीय देवी प्रसाद गुप्ता जी के द्वारा समय समय पर मार्ग दर्शन के रूप में देश समाज व्यक्ति विशेष लोकतंत्र प्रजातंत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है तो एक निष्कर्ष के रूप में एक बात निकल कर आई मोदी जी ने विश्व में तो पडोसी देशो में कठोरता के साथ आतंकवाद से निपटने के लिए दवाद तो बनाया है डर भी पैदा किया लेकिन वो डर देश के लुटेरों , अपराधिओं में क्यू नहीं पैदा करपा रहे है ? २ महीने बीत जाने पर भी देश कि आंतरिक व्यवस्था में एक ठोस परिवर्तन नहीं नजर आया हां मानते है कि मत्रिओं सांसदों को एक जनप्रतिनिधि के कार्यों से अबगत कराया है लेकिन जो डर अन्तर्राष्ट्रीय स्थर पर पैदा किया वो देश के अपराधिओं में क्यू नहीं हो रहा .....आज भी कोई परिवर्तन नहीं है अपराधिक घटनाओं में, कोई डर भय नहीं है भ्रष्टाचारीओं में ... एक बात माननी पड़ेगी आप को ४५ दिन कि अरविन्द केजरीवाल कि सरकार कैसी भी चली हो एक चीज जो हमको उस सरकार से सिखाना चाहिए वो.... भष्टाचारीओं में डर कैसे पैदा किया जाता है | मै तारीफ करता हूँ उस सरकार कि जिसने पैदा किया था डर ... लेकिन अभी तक मोदी सरकार वो डर न तो अपराधिओं और न ही भ्रष्टाचारीओं में पैदा कर पा रही |
                मध्य प्रदेश में सिंडीकेट बैंक के चेयरमैन फर्जी फिकेशन और भर्ष्टाचार में पकडे गए और इससे जादा क्या कहूँ शायद कोई डर हो कानून से तो कोई डरे न लेकिन किसी को कोई डर ही नहीं, सरकार ने एक्शन लिया और बर्खाश्त करते हुये केस CBI पर है ... सवाल ये है कि कन्हा से हिम्मत आती है फर्जीवाड़ा करने कि क्या हमारा कानून कमजोर है जो भष्टाचारीओं को डराने में नाकाम है | मोदी जी के चुनाव कि हर रैली में “कोयला कि फाईल खो गयी और हमारी तो लाइफ ही खो गयी “ ये शब्द हुआ करते थे ... क्या कोई भी चर्चा इन पिछले महीनो में हुए क्या कोई एक्शन लिया जा रहा है कोयले पर |
आज अपराधिक घटनाये दिन पर दिन बढ़ रही है जिस का दोष हम राज्य सरकार पर लगा कर अपना पल्ला भारी  कर लेते है ... केन्द्र सरकार का कोई रोल नहीं किसी भी राज्य में कानून व्यवस्था को सही करने का ?
केन्द्र के पास तागत होती है जो सरकार राज्य में सही से काम नहीं कर पा रही उसे भार्खास्त कर सकती है फिर भी कोई  एक्शन नहीं ... चुनाव से पहले बड़ी बड़ी बातें ??

बस इंतजार है मोदी जी कि १५ अगस्त २०१४ कि उन घोषणाओं का जिन में से इन मुद्दों पर क्या मोदी जी बोलते है ?
                                                                            

                                                                                                                                       जयकान्त पाराशर 
               आगराjkparashar@gmail.com
www.jkparashar.blogspot.com
                                                                                                                                 




Saturday, May 31, 2014

नशे में डूबा ....... युवा


मै अपने व्यक्तिगत अनुभव आप के समक्ष रखने का प्रयास कर रहा हू | आज का सबसे जादा युवा वर्ग नशे कि लत से ग्रस्त है, मैंने अपने २२ वर्ष के जीवन में अनुभव किया है कक्षा १२ पास करने के बाद सही जीवन प्रारम्भ होता है, १२ तक तो हम अपने माता-पिता के अनुशार कार्य करते है, हमें जो अच्छे बुरे का ज्ञान मिलता है वो सिर्फ कक्षा १२ पास तक प्राप्त होता है, उसके बाद हम अपने अनुशार कार्य करते है | मै अपने महाविद्यालय कि बात कहू तो ८० प्रतिशत छात्र  सिगरेट का सेवन करते है और वो नशा उम्र के साथ अनेको प्रकार के नशे में परिवर्तित हो जाता  है, अभी आगरा में तो वो ट्रेंड नहीं हुआ लेकिन मेट्रो शहरो में तो छात्राये भी पीछे नहीं है | मैंने बी टेक पूरा किया है, मेरा इंजीनियरिंग का अनुभव है, हर कॉलेज के बहार खोका (दुकान) होती है जिस पर चाय और सिगरेट मिलती है, और ब्रेक में वंहा छात्रों कि भीड़ जमा होती है, और यंहा से प्रारम्भ होती है नशे कि लत, और ये लत कन्हा तक पहुँचती है, जिसका कोई पता नहीं |

मुझे आज तक समझ नहीं आया कि ये लत क्यू लगती है, मै अपने मित्रों से पूछता रहता हू कि क्या मिलता है इसमें, पैसे को आप धुँआ में उड़ा देते हो और एक बीमारी को न्योता दे देते हो आखिर क्यू ? तो उत्तर मिलता है लत लग गयी है, मै पूछता हू मुझे क्यू नहीं लगी ? तो निउत्तर हो जाते है | 
मै मानता हू कि इस उम्र में कुछ अपने आप करने कि ललक होती है, और सही दिशा न मिलने पर वो गलत राहों पर ले जाती है | आज क्राईम में सबसे जादा १५ से ३५ वर्ष के लोगो कि भागीदारी होती है और वो नशे से ग्रस्त होते है, दिल्ली में जो हुआ उसमे भी आरोपिओं ने माना था कि वो नशे में थे जिसके कारण वो वहके |
मुझे ये समझ नहीं आता कि ये सब ऐसे ही क्यू बिकते है, उ०प्र० के अंदर शराव कि दुकान स्कूल, अस्पतालों, आवासीय कोलोनिओं में है, जब कि मानक के अनुसार उन दुकानों को दूर होना चाहिए, परन्तु ... तो परन्तु है | सरकार को इनसे अच्छी खासी आमंदनी होती है तो कोई एक्शन का सवाल ही नहीं होता है | 
                हम लोगों कि सबसे बड़ी दिक्कत क्या है वो ये है कि हम पहले तो  समस्या पैदा करते है और फिर उसे रोकने का प्रयास करते है | अब आप ही देख लो पहले हर नुक्कड़ पर मादक पदार्थ उपलब्ध कराते है फिर धूम्रपान निषेध दिवस मानते है और इन् कार्यक्रमों पर करोडोँ रुपये खर्च करते है,

एक नजर .................................
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
दुनियाभर में तम्बाकू सेवन का बढ़ता चलन स्वास्थ्य के लिए बेहद नुक़सानदेह साबित हो रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी इस पर चिंता ज़ाहिर की है। तम्बाकू से संबंधित बीमारियों की वजह से हर साल क़रीब 5 मिलियन लोगों की मौत हो रही है। जिनमें लगभग 1.5 मिलियन महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनियाभर में 80 फ़ीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं, लेकिन कुछ देशों की महिलाओं में तम्बाकू सेवन की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। दुनियाभर के धूम्रपान करने वालों का क़रीब 10 फ़ीसदी भारत में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में क़रीब 25 करोड़ लोग गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि के ज़रिये तम्बाकू का सेवन करते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ दुनिया के 125 देशों में तम्बाकू का उत्पादन होता है। दुनियाभर में हर साल 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब से ज़्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। भारत में 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है। भारत में 72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत तम्बाकू निर्यात के मामले में ब्राज़ील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद छठे स्थान पर है। आंकड़ों के मुताबिक़ तम्बाकू से 2022 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की आय हुई थी। विकासशील देशों में हर साल 8 हज़ार बच्चों की मौत अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण होती है। दुनिया के किसी अन्य देश के मुक़ाबले में भारत में तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। तम्बाकू पर आयोजित विश्व सम्मेलन और अन्य अनुमानों के मुताबिक़ भारत में तम्बाकू सेवन करने वालों की तादाद क़रीब साढ़े 29 करोड़ तक हो सकती है
तम्बाकू सेवन में महिलाओं की भागीदारी
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि शहरी क्षेत्र में केवल 0.5 फ़ीसदी महिलाएं धूम्रपान करती हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह संख्या दो फ़ीसदी है। आंकड़ों की मानें तो पूरे भारत में 10 फ़ीसदी महिलाएं विभिन्न रूपों में तंबाकू का सेवन कर रही हैं। शहरी क्षेत्रों की 6 फ़ीसदी महिलाएं और ग्रामीण इलाकों की 12 फ़ीसदी महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं। अगर पुरुषों की बात की जाए तो भारत में हर तीसरा पुरुष तम्बाकू का सेवन करता है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक़ कई देशों में तम्बाकू सेवन के मामले में लड़कियों की तादाद में काफ़ी इज़ाफ़ा हुआ है। हालांकि तम्बाकू सेवन के मामले में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ़ 20 फ़ीसदी ही है। महिलाओं और लड़कियों में तम्बाकू के प्रति बढ़ रहे रुझान से गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। डब्लूएचओ में गैर-संचारी रोग की सहायक महानिदेशक डॉक्टर आला अलवन का कहना है कि तम्बाकू विज्ञापन महिलाओं और लड़कियों को ही ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं। इन नए विज्ञापनों में ख़ूबसूरती और तंबाकू को मिला कर दिखाया जाता है, ताकि महिलाओं को गुमराह कर उन्हें उत्पाद इस्तेमाल करने के लिए उकसाया जा सके। बुल्गारियाचिली, कोलंबिया, चेक गणराज्य, मेक्सिको और न्यूजीलैंड सहित दुनिया के क़रीब 151 देशों में किए गए सर्वे के मुताबिक़ लड़कियों में तंबाकू सेवन की प्रवृत्ति लड़कों के मुक़ाबले ज़्यादा बढ़ रही है

मुंह का कैंसर की होने की आशंका

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक़ तम्बाकू या सिगरेट का सेवन करने वालों को मुंह का कैंसर की होने की आशंका 50 गुना ज़्यादा होती है। तम्बाकू में 25 ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। तम्बाकू के एक कैन में 60 सिगरेट के बराबर निकोटिन होता है। एक अध्ययन के अनुसार 91 प्रतिशत मुंह के कैंसर तम्बाकू से ही होते हैं। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल और डॉ. बी सी राय का कहना है कि एक दिन में 20 सिगरेट पीने से महिलाओं में हार्ट अटैक का ख़तरा 6 गुना बढ़ जाता है। एक दिन में 20 सिगरेट पीने से पुरुषों में ह्रदयाघात का ख़तरा 3 गुना बढ़ जाता है। पहली बार ह्रदयाघात के लिए धूम्रपान 36 फ़ीसदी मरीज़ों में ज़िम्मेदार होता है। ऐसे हृदय रोगी जो लगातार धूम्रपान करते रहते हैं उनमें दूसरे ह्रदयाघात का ख़तरा ज़्यादा रहता है साथ ही अकस्मात मौत का ख़तरा भी बढ़ जाता है। बाई पास सर्जरी के बाद लगातार धूम्रपान करते रहने से मृत्यु, हृदय संबंधी बीमारी से मौत या फिर से बाईपास का ख़तरा ज़्यादा होता है। एंजियोप्लास्टी के बाद लगातार धूम्रपान करने से मौत और ह्रदयाघात का ख़तरा बढ़ जाता है। जिन मरीज़ों में हार्ट फंक्शनिंग 35 फ़ीसदी से कम हो, उनमें धूम्रपान से मौत का ख़तरा ज़्यादा होता है। जो लोग लगातार धूम्रपान करते रहते हैं, उनमें हो सकता है कि रक्त दाब (ब्लड प्रेशर) की दवाएं असर न करें।

प्रतिवर्ष 50 लाख लोगों की मौत

विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के आधार पर इस समय समूचे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से अधिक व्यक्ति धूम्रपान के सेवन के कारण अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यदि इस समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में कोई प्रभावी क़दम नहीं उठाया गया तो वर्ष 2030 में धूम्रपान के सेवन से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष 80 लाख से अधिक हो जायेगी। धूम्रपान, इसका सेवन करने वालों में से आधे व्यक्तियों की मृत्यु का कारण बन रहा है और औसतन इससे उनकी 15 वर्ष आयु कम हो रही है। हर प्रकार का धूम्रपान- 90 प्रतिशत से अधिक फेफड़े के कैंसर, ब्रैन हैम्ब्रेज और पक्षाघात का महत्त्वपूर्ण कारण है। आज विश्व के मशीनी जीवन में कैंसर, मृत्यु का दूसरा कारण है और सिगरेट इस बीमारी में ग्रस्त होने का एक महत्त्वपूर्ण कारण है। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त होने और सिगरेट का सेवन करने वाले पुरूषों में मृत्यु की संभावना सिगरेट का सेवन न करने वाले पुरुषों से 23 गुना अधिक है जबकि इस कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं में सिगरेट का प्रयोग न करने वाली महिलाओं से 13 गुना अधिक है। सिगरेट- मुंह, मेरुदंड, कंठ और मूत्राशय के कैंसर में सीधे रूप से प्रभावी हो सकता है। सिगरेट में मौजूद कैंसर जनक पदार्थ शरीर की कोशिकाओं पर ऐसा प्रभाव डालते हैं जिससे उसका उचित विकास नहीं हो पाता और शरीर की कोशिकाओं के विकास में ध्यानयोग्य विघ्न उत्पन्न होता है। इस प्रकार सिगरेट शरीर की कोशिकाओं के नष्ट होने और उनके कैंसर युक्त होने का कारण बनता है। शोध इस बात के सूचक हैं कि जो व्यक्ति सिगरेट का सेवन करते हैं उनमें मूत्राशय के कैंसर से ग्रस्त होने की संभावना उन लोगों से चार गुना अधिक होती है जिन्होंने अपने जीवन में एक बार भी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया है। लम्बे समय तक सिगरेट सेवन के दूसरे दुष्परिणाम- मुंह, गर्भाशय, गुर्दे और पाचक ग्रंथि के कैंसर हैं। विभिन्न शोधों से जो परिणाम सामने आये हैं वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि धूम्रपान, रक्त संचार की व्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव डालता है। धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धूएं का सामना, हृदय औरमस्तिष्क की बीमारियों का महत्त्वपूर्ण कारण है। इन अध्ययनों में पेश किये गये आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि कम से कम सिगरेट का प्रयोग भी जैसे एक दिन में पांच सिगरेट या कभी कभी सिगरेट का सेवन अथवा धूम्रपान के धूएं से सीधे रूप से सामना न होना भी हृदय की बीमारियों से ग्रस्त होने के लिए पर्याप्त है। धूम्रपान के धूएं में मौजूद पदार्थ जैसे आक्सीडेशन करने वाले, निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण हैं। धूम्रपान का सेवन इस बात का कारण बनता है कि शरीर पर इन्सुलिन का प्रभाव नहीं होता है और इस चीज़ से ग्रंथियों एवं गुर्दे को क्षति पहुंच सकती है।

सिगरेट की लत

तीसरी दुनिया के देशों में सिगरेट पीने वालों की आयु कम होती है और इन देशों की युवा जनसंख्या के दृष्टिगत उनमें मादक पदार्थों की लत पड़ जाने और दूसरी सामाजिक एवं सांस्कृतिक बुराइयों में वृद्धि की आशंका होती है। इस संबंध में होने वाले अध्ययन के अनुसार यद्यपि सिगरेट का सेवन करने वाला हर व्यक्ति नशेड़ी नहीं बन जाता है परंतु सिगरेट का सेवन करने वाले अधिकांश लोग बड़ी जल्दी नशेड़ी बन जाते हैं। वास्तव में सिगरेट नशेड़ी बनने के प्रवेश द्वार की भूमिका निभाता है। स्पष्ट है कि समाज में सिगरेट का सस्ता होना, उसकी तस्करी और उस तक सरल पहुंच, कम आय वाले वर्ग एवं युवाओं में सिगरेट पीने के रुझान में वृद्धि का महत्त्वपूर्ण कारण है।

                                                                              जयकान्त पाराशर नशे में डूबा ......... युवा

Friday, February 28, 2014

राजनीति v/s कॉमन मैन

राजनीति v/s कॉमन मैन
(जी हां कॉमन मैन ... क्यू की आम आदमी तो अरविन्द केजरीवाल जी है )
          आज जिस प्रकार चुनाव पास आ रहा है राजनितिक गतिविधियों गति पकड़ रही है सभी राजनैतिक दल अपने अपने तरीके से अपने को चमकाने में लगे हुए है |

सभी राजनैतिक दलों से एक प्रश्न है कि आप क्यू नि समझते है कॉमनमैन का दर्द .. आप जानते है कि ट्रेन को रोकने से सडक मार्गों को रोकने से जनजीवन पर क्या फर्क पड़ता है ... कितनी तकलीफ होती है कॉमनमैन को ??
किसी का परीक्षा तो किसी का इंटरव्यू छुट जाता है सालों साल कि मेहनत एक झटके में मिट्टी में मिल जाती है सिर्फ किस बजह से सिर्फ राजनितिक दलों का अपना उल्लू सीधा करने कि बजह से ... मै हाल ही में भाजपा के द्वारा विहार में ट्रेन को रोके जाने पर ये कहने पर मजबूर हो रहा हू ... आखिर क्यू नि समझ आता कॉमनमैन का दर्द किसी को और भी तरीके है आंदोलन करने के ... आप अन्ना जी कि तरह शान्ति पूर्वक भी आंदोलन कर सकते है जिस में कोई मार्ग बाधित नहीं हुआ किसी भी कॉमनमैन को कोई परेशानी नहीं हुए .. और एक सफल आंदोलन के रूप में हम सभी के सामने था |
         २६ जनवरी २०१४ से पहले अरविन्द केजरीवाल जी का सड़क पर वैठाना क्या था जिसमे भी सिर्फ और सिर्फ कॉमनमैन को प्रोब्लम हुए केजरीवाल जी तो अपना चेहरा चमकाने में लगे रहे उनको क्या फर्क पड़ता है धारा १४४ लगी हो या नहीं देश कि सुरक्षा से क्या फर्क पड़ता है क्या फर्क पड़ता है | 
ये घटनाये कोई नई बाते नहीं है ... ये तो वर्षों से होता आ रहा है हर राजनितिक दल को अपना उल्लू सीधा करना है बस | आखिर कब तक चलेगा ये सब ? कभी कोई सोचता है कि कॉमनमैन के आलावा भी देश कि इकोनोमी पर भी असर होता है आये दिन अदालतों कि हड़ताल जिससे अदालतो कि कार्यवाही ही नहीं होती जिस के कारण केस पैंडिंग में ही रहते है फाईलो का ढेर लग जाता है
जयकान्त पाराशर
               आगरा
jkparashar@gmail.com
www.jkparashar.blogspot.com



                                                                         

Saturday, February 8, 2014

आज फिर से कलम उठानी पड़ी



today i am vey shocked when seen 4 girls on a taris doing smoking.
i front of my sweet home four girls avarage 19-20 year old on taris doing smoking ... when show thair nd also seen me but no effect on d girl .. i call my sis for seen this moment. all girls enjoy cigrate .

आज फिर से कलम उठानी पड़ी ... दोस्तों
दिल्ली समझ आती थी इतना अजीब नि लगता था इन् सब के लिए लेकिन आज आगरा में ........... मै समझता था की अभी आगरा में वो ट्रेंड नि है जो और शहरों में है
हम आज तक कहते थे की आगरा के लोगों में अभी शर्म बाकि है ... लेकिन नि अब शर्म बाकि नि रही .....


अक्टूबर २०१३ में एक लेख लिखा था ... भटकती युवा पीडी
http://jkparashar.blogspot.in/2014/01/blog-post.html?spref=fb )
आज में उस सब ठेकेदारो से कुछ पूछना चाहूँगा जो..... बात का बतंगड बना देते है अगर महिलाओं पर थोड़ी थी क्या बोल दे कोई

ये ही जमाना जमाना बदल गया है ...........
आज मुझे जबाब चाहिए ... जमाना बदलने का मतलब क्या है
छोटे छोटे कपडे पहनना ???
सिगरेट पीना ... ड्रिंक करना ??
बेशर्मी होना ??
बदल गया है जमाना .... हम तो कुछ भी न पहने ...हमको रोकने बाला कोन ... समानता का जोन अधिकार मिला है
समानता है तो हम कुछ भी करे ..... कोई कुछ कहेगा तो हमारे आका उसका ही बैंड बजा देंगे
अगर कोई बात आती है तो महिलाओं के लिए अलग लाइन
लेडिज फर्स्ट
संस्कार नहीं दिए गए क्या ... महिला खड़ी है खुद बैठे हो
please give me answer what did changes??

Tuesday, February 4, 2014

हकीकत राय

आज  वसंत पंचमी का दिन है ,बही दिन  जब 12 वर्ष के बालक से अंतिम बार पूछा गया " क्या तुम्हें इस्लाम कबूल है " बालक का उत्तर था "नहीं" माँ ने भी समझाया कि बेटा , तुम मेरे एकलौते पुत्र हो , इस्लाम कबूल कर लोगे तो तुम जीवत रहोगे , मरोगे तो नहीं , बालक का उत्त्तर था , अगर मैं मुस्लिम बन जाऊँ तो क्या मौत मुझे नहीं आएगी ? माँ सुन कर निरुत्तर हो गयी , तब जलाद ने अपने गंडासे से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया , वह बालक था वीर हकीकत
मुस्लिम सहपाठियों ने जब माँ दुर्गा को अपशब्द कहे तब हकीकत का उत्तर था मेरे लिया माँ दुर्गा और फातिमा में कोई अंतर नहीं है , लेकिन हक़ीक़त को अपने प्राणों से प्रिय धर्म था अपने प्राण दे दिए लेकिन अपना धर्म अपने प्राणो के साथ निभाया l


हकीकत राय नाम का बालक था धर्म परायण और वीर । मुगल का राज़ था । एक मदरसे मे पढता था वह वीर बालक , एक दिन साथ के कुछ मुस्लिम बच्चे उसे चिडाने के लिए हिंदू देवी देवताओ को गाली देने लगे उस सहनशील बालक ने कहा अगर यह सब मैं बीबी फातिमा के लिए कहू तो तुम्हे कैसा लगेगा। इतना सुन कर हल्ला मच गया की हकीकत ने गाली दी , बात बड़ी काजी तक पहुची मौलवी और काज़ी ने इसे इस्लाम का अपमान माना और मौत कि सजा सुनाई लेकिन लाहौर के हाक़िम सफ़ेद खान ने कहा कि अगर हक़ीक़त इस्लाम कबूल करता है तो मैं अपनी बेटी का निकाह हक़ीक़त से करा दूंगा और मौत कि सजा भी नहीं होगी ,
वसंत पंचमी के दिन ही उस वीर हकीक़त राय को कत्ल कर दिया गया । वह शहीद हो गया। उसने बलिदान कर दिया लेकिन धर्म से डिगा नही ।

Saturday, January 11, 2014

क्यूँ आज का युवा क्राईम की दुनिया की तरफ



---- आखिर क्यूँ हो रहे है आज के युवा नशा के शिकार ?
---- क्यूँ आज का युवा क्राईम की दुनिया की तरफ जा रहा है
आज को देखते हुए एक छोटी सी कहानी याद आती है | एक सुन्दर सा राज्य था राजा का एक लम्बे समय से बीमार होने के कारण देहांत हो जाता है ....... इस स्थिति में राजा के २६ वर्षीय बेटे को राजा बना दिया गया | कुछ समय बीत जाने के बाद ........... एक दिन राजा के दिमाग में एक विचार आता है कि हमारे राज्य में कितने लोग बुजुर्ग है जो कोई भी काम नहीं करते, २ दिन में सूची बनाकर देने का आदेश दिया,राजा को २ दिन में सूची उपलब्ध करा दी गयी | राजा ने सूची को देखकर कहा एसे लोगों का क्या फायदा जो कोई काम नहीं करते और बैठ कर खाते रहते है इन लोगो का राज्य में रहना बेकार है अगर इन लोगों को फांसी दे दी जाये तो बहुत भोजन की बचत की जा सकती है ... ये कहते हुए राजा आदेश देता है की सभी ५० वर्ष से बड़े लोगों को राज्य से निष्कासित कर दिया जाये और जो लोग यंहा से नहीं जाये उनको फांसी दे दी जाये | राजा के आदेश का पालन होने लगा और राज्य से कोई भी ५० वर्ष से अधिक का व्यक्ति नहीं रहा | राज्य का एक १८ वर्षीय व्यक्ति अपने दादा के साथ पास में ही राज्य की सीमा से अलग कुटिया बनाकर रहने लगा | राजा के तानाशाही मौहोल में जनता ने अपने आप को डाल लिया. राज्य में कई वर्ष लगातार सूखा होने लगा वारिश न होने के कारण अनाज की पैदावार रुक गयी और जो भंडार था वो भी धीमे धीमे समाप्त होने लगा और एक दिन ऐसा आया की राज्य का सारा अनाज समाप्त हो गया राजा को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की क्या करें लोग राज्य छोड़ने पर मजबूर हो रहे थे| तभी अचानक तेज वारिश होने लगी खेतों में पानी था लेकिन लोगों के पास बीज नहीं था | किसी के भी पास खाने को कुछ नहीं था और लोग राज्य से पलायन करने लगे| उस १८ वर्षीय युवक ने ये घटना अपने दादाजी को बताई| तब दादाजी ने कहा बिना किसी सवाल के सड़क के किनारे हल से जुताई करो और लोगों से भी बोलो की वो भी जुताई करे. उस युवक ने ऐसा ही किया और लोगों से भी कहा लेकिन किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी और बोले की बिना बीज के जुताई करने से क्या फायदा और उससे मुर्ख कहते हुये चले गए उस युवक ने जितनी जुताई कर सका उतनी की | कुछ समय बाद सडक के किनारे गेंहूँ के पौधे निकलने लगे ये देखकर राजा ने पूरी धटना की जानकारी की और उस युवक को बुलाया और कहा ये कैसे संभव है तो युवक ने सिर झुकाकर कहा ये सब करने को मेरे दादाजी ने कहा बस मेने तो उनकी आज्ञा का पालन किया है राजा ने दादाजी को बुलाने का आदेश दिया जब दादाजी से पुछा गया तो दादाजी ने कहा जब हम अपने आनाज को खेतो से लेजाते है तो कुछ आनाज गिर जाता है जो की हवा और पानी से से सडक किनारे मिट्टी में मिल जाता है बस उस आनाज जो हल की जरुरत थी तो मेने अपने बेटे और सभी से कहा की हल चलाओ लेकिन सिर्फ मेरे बेटे ने ही हल चलाया जितना वो जुताई कर सका उतने में आज गेंहूँ के पौधे है | इतना सुनकर राजा को अपनी गलती का ऐसाहस हुआ और कहा बिना बुजुर्ग के जीवन असंभव है जब राज्य पर बिपता आई तो बड़े बुडे के जीवन का अनुभव ही हमें नयी रहा देता सकता है और सार्वजानिकरूप से माफ़ी मांगते हुए सभी को वापस ससम्मान राज्य में आने की प्रार्थना करता है |
“इस कहानी से मेरा बस इतना सा आशय है आज जो समस्या हमारे,समाज, देश के सामने है उसमे दोष हमारा ही है ............. मेरे अध्यन के अनुसार जो भी क्राईम हो रहे है उन अपराधीओं की उम्र १५ से ४५ वर्ष की है चाहे वो चोरी डकैती लूटपाट हत्या बलात्कार आदि | मतलब ये है क्राईम होने का मुख्य कारण युवाओं का भटकना ही तो है आजका युवा सबसे जादा नसे से ग्रस्त है जिसका क्या दुष्प्रभाव होता है उसकी व्याख्या करने की आवश्यकता नहीं है| आज हम जो जमाना बदल रहा है की रट लगाये हुये है इसका संतुष्ठ उत्तर नहीं मिला अगर नशा करना, छोटी छोटी बातों पर परिवारीजनों के ही दुश्मन बन जाना , बदन पर आयी कपड़ों की कमी आदि जमाना बदलने से है तो वो पल दूर नहीं जब हम सभी जानवर हो जायेगे , इंसानियत नाम का कुछ हो | इस सब का कारण जो मुझे लगता है वो सिर्फ और सिर्फ जो हमें दिए जा रहे संस्कारों की कमी है | और इन सब के लिए जरुरत है बड़े बुजुर्गों का साथ | "
जयकान्त पाराशर
खेरागढ़ आगरा